भले ही मुंबई में 26 नवंबर 2008 (26/11 Mumbai Terror Attack) को हुए हमले को 15 साल हो चुके हैं, लेकिन उसकी खौफनाक यादें सबके जेहन में ताजा होंगी. मुंबई हमले के दौरान एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें एक युवक रेलवे स्टेशन पर हाथ में बंदूक लिए नजर आ रहा है. तफ्तीश के बाद इस दहशतगर्द का नाम अजमल आमिर कसाब (Ajmal Amir Kasab) के रूप में सामने आया. यह वही आतंकी है जिसने अपने एक साथी मोहम्मद इस्नाइल खान के साथ सीएसटी स्टेशन (CST Station) पर दुनिया की जघन्यतम आंतकी घटनाओं में से एक को अंजाम देते हुए 59 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. अजमल कसाब को मुंबई हमले के दौरान गिरफ्तार किया गया था, जबकि इस्नाइल खान को मार गिराया गया था. बाद में अजमल कसाब पर मुकदमा चला और 21 नवंबर 2012 को उसे फांसी दे दी गई.
लगाई गई थी बगैर टिकट वाली धारा
इसमें एक दिलचस्प बात यह है कि अजमल आमिर कसाब पर अन्य मामलों के अलावा रेलवे अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला भी दर्ज किया गया था, जिनमें से एक धारा 137 (बिना टिकट यात्रा करना) है, क्योंकि दोनों आतंकवादियों ने प्लेटफॉर्म पर कदम रखने से पहले प्लेटफॉर्म टिकट नहीं खरीदा था. मुंबई पुलिस के अपराध शाखा प्रमुख राकेश मारिया ने कहा, ”कसाब पर हत्या, शस्त्र अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम, पासपोर्ट अधिनियम, गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम, कार चोरी और रेलवे अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. उनमें से एक बिना प्लेटफॉर्म टिकट के स्टेशन में प्रवेश करने का है.” यदि इस अपराध के तहत दोषी ठहराया जाता, तो कसाब को छह महीने तक की कैद या 1,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता था.
ये भी पढ़ें- चुनावी किस्सा: पहले लोकसभा चुनाव में दूध बेचने वाले से हार गए थे डॉ. बीआर अंबेडकर, किसे मिली थी सबसे बड़ी जीत?
इससे मजबूत होता है केस
क्राइम ब्रांच के अधिकारियों के मुताबिक, “जिस आरोपी पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और हत्या जैसे गंभीर आरोप हों, उसके लिए ऐसे छोटे-मोटे आरोप ज्यादा परेशान करने वाले नहीं होते हैं. लेकिन चूंकि यह एक औपचारिकता थी जिसे पूरा किया जाना था, इसलिए यह किया गया.” जांच से जुड़े एक अधिकारी ने उस समय कहा था, ”यह जांच एजेंसी का कर्तव्य था कि वह घटना से जुड़े हर छोटे या बड़े अपराध को शामिल करे.” उनका कहना है कि चाहे कोई धारा छोटी या मामूली सजा वाली ही क्यों ना हो, लेकिन इससे केस मजबूत होता है.
अजमल कसाब को मुंबई हमले के दौरान गिरफ्तार किया गया था.
हमले के समय 21 साल का था कसाब
मुंबई हमलों के दौरान कसाब की उम्र 21 वर्ष की थी. भारतीय अधिकारियों ने इस आतंकी के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की. कई महीनों की मेहनत के बाद पाकिस्तान ने इस बात को स्वीकार किया था कि यह पंजाब प्रांत में रहने वाला उनका नागरिक था. कुछ रिपोर्ट्स में पता चला था कि वह फरीदकोट नाम के दूर-दराज के गांव का रहने वाला था, जहां उसके पिता खाने-पीने की चीजें बेचा करते थे.
ये भी पढ़ें- वो राजा जो मुगलों से केवल एक बार हारा, 5 घुड़सवार और 25 तलवारबाजों के दम पर बनाया बुंदेला साम्राज्य
नाराज होकर घर से भागा
बीबीसी ने रिपोर्ट्स के हवाले से लिखा कि कसाब ने कम शिक्षित था और उसने अपनी जवानी मजदूरी और छोटे-मोटे अपराधों में गुजारी. पाकिस्तानी मीडिया को दिए इंटरव्यू में फरीदकोट के रहने वाले एक शख्स ने कसाब को अपने बेटे के रूप में पहचाना. उन्होंने बताया कि वह हमले के चार साल पहले घर छोड़कर चला गया था. बीबीसी ने डॉन अखबार के हवाले से लिखा, “उसने मुझसे ईद पर नए कपड़े मांगे थे, जो मैं उसे नहीं दे सका. वह नाराज हो गया और चला गया.” कहते हैं कि कसाब लश्कर-ए-तैयबा के प्रभाव में आ गया था. बताया जाता है कि कैंप में ट्रेनिंग हासिल करने के बाद उसे मुंबई हमले के लिए चुना गया था. हमले की जारी तस्वीरों में कसाब छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर गोलीबारी करता नजर आ रहा है. तस्वीर खींचने वाले फोटोग्राफर बताते हैं, “वह ऐसे चल रहा था, जैसे उसे कोई भी छू नहीं सकता.”
मुकदमे से लेकर सजा की कहानी
पुलिस के साथ गोलीबारी के बाद कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था. उससे पूछताछ हुई और हत्या व भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने समेत 86 अपराधों में मामले दर्ज किए गए. अभियोजकों ने कहा कि कसाब ने अपना अपराध कबूल कर लिया है. जबकि, आतंकी के वकील का कहना था कि बयान उससे जबरदस्ती दिलाया गया है. बाद में इसे वापस ले लिया गया. साल 2009 में ट्रायल की शुरुआत हुई. इस दौरान कसाब हंसता नजर आ रहा था. मई 2010 में कसाब को विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुनायी. जज एमएल तहिलियानी का कहना था, “उसे मरने तक गर्दन से लटकाया जाना चाहिए.”
कसाब के वकील ने नरमी बरतने की बात कही और कहा कि आतंकी संगठन ने उनके क्लाइंट का ब्रेनवॉश किया है और उसका पुनर्वास किया जा सकता है. कसाब ने फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी और अक्टूबर 2010 में मामले पर सुनवाई शुरू हुई थी. मुंबई हाईकोर्ट की तरफ से फरवरी 2011 में उसकी अपील खारिज कर दी गई, जिसके जवाब में उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 29 अगस्त 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अपील खारिज की और मौत की सजा को बरकरार रखा.
.
Tags: 26/11 mumbai attack, 26/11 Terror Attack, Ajmal Kasab, Mumbai police, Mumbai Terror Attack
FIRST PUBLISHED : March 26, 2024, 11:11 IST