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किस देश में सबसे पहले चले कागज के नोट-भारत का है पड़ोसी, क्यों इसे कहा जाता था ‘उड़ने वाली मुद्रा’

हाइलाइट्स

कहा जाता है कि छठी सदी में चीन में हान वंश ने कागज की मुद्रा शुरू की
असल तरीके से इसे कंट्रोल करके चीन में कुबलई खान ने शुरू किया
यूरोप और दुनिया में कागजी करेंसी 18वीं और 19वीं सदी में फैली

13वीं सदी के शुरू में जब वेनिस का व्यापारी मार्को पोलो चीन पहुंचा, तो वहां कई ऐसी चीजों का इस्तेमाल हो रहा था, जो उसे हैरान करने के लिए काफी थीं. मसलन – बारूद, कोयला, चश्मा और चीनी मिट्टी लेकिन सबसे ज्यादा जिस चीज ने उसे अचरज में डाला, वो था कागजी करेंसी यानि नोट का इस्तेमाल, जिसे 1206 में चंगेज खान के पोते कुबलाई खान ने लागू किया था. मार्को पोलो को विश्वास ही नहीं हुआ वो क्या देख रहा है और कुबलाई खान ने कितनी गजब की चीज शुरू कर दी है.

गौरतलब है कि कागज का आविष्कार भी सबसे पहले चीन में ही हुआ था. इतिहासकारों के अनुसार सबसे पहले कागज़ का आविष्कार चीन में 201 ई.पू. हान राजवंश के समय हुआ. चीन के निवासी “काई लून” ने कागज़ का आविष्कार किया था.

कागजों को अलग आकार में काटा जाता था
चीन में खास रंग के बनाए गए कागज को अलग-अलग आकार के टुकड़ों में काट लिया जाता था. फिर इन्हें नोट के तौर पर गंभीरता और अधिकार के साथ जारी किया जाता था, प्रत्येक नोट पर अधिकारियों को अपना नाम लिखकर मुहरें लगानी होती थीं.

चीन के शुरुआती दौर के नोट और उनका खांचा (विकी कामंस)

इस शासक के राज में चलाए गए नोट
कुबलाई खान द्वारा नियुक्त मुख्य अधिकारी उसे सौंपी गई मुहर पर सिन्दूर लगाता थां और उसे कागज पर छाप देता है, ताकि मुहर का रूप उस पर लाल रंग में अंकित रहे. अगर कोई इसे नकली बनाने की कोशिश करता था तो उसे मौत की सजा दी जाती थी.

कैसे तय की गई प्रामाणिकता
चंगेज खान के पोते ने कागज की इन मुद्राओं की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए. तब तक दुनिया में कहीं भी कागज के नोटों का प्रचलन नहीं था. इसने दुनिया में मुद्रा के एक नए रूप के प्रचलन को आगे बढ़ाया. दुनियाभर में फिर आने वाले बरसों में कागज के नोटों का चलनतेजी से शुरू हो गया.

किस पेड़ की छाल से बनता था इसका कागज
ये कागजी मुद्रा शहतूत के पेड़ की छाल से बनाई जाती थी. इसे “उड़ती हुई मुद्रा” के रूप में जाना जाता था क्योंकि यह हवा में उड़ सकती थी. यूरोप में 17वीं शताब्दी में इसका उपयोग शुरू होने से पहले चीनियों ने 500 से अधिक वर्षों तक कागजी मुद्रा का उपयोग किया.

यूरोप में जारी हुआ पहला नोट, तब के नोट इसी तरह के होते थे. (विकी कामंस)

क्यों लाए गए कागज के नोट
वैसे कहा जाता है पहली कागजी मुद्रा नोट पहली बार चीन में 7वीं शताब्दी में तांग और सोंग राजवंशों के दौरान विकसित की गई थी. तब व्यापारी बड़े कारोबारी लेनदेन में भारी मात्रा में तांबे के सिक्कों से बचना चाहते थे. तब इसे फ्लाइंग मनी भी कहा जाता था.

यूरोप में कैसे शुरू हुए थे कागजी नोट
मार्को पोलो जब चीन पहुंचा तब तक चीन में नोट का चलन धड़ल्ले से होने लगा. जब वह वापस यूरोप लौटा तो उसने 13वीं सदी इन नोटों के चलन का आधार बनाया. वैसे पहला यूरोपीय बैंक नोट 1661 में स्वीडन में सामने आया. 18वीं और 19वीं सदी में कागजी मुद्रा पूरी दुनिया में फैल गई.

भारत में कब पहली बार आए कागजी नोट
भारत में कागज़ का पहला नोट 1862 में अंग्रेज़ों ने जारी किया था. इस पर ब्रिटिश महारानी विक्टोरिया की तस्वीर थी. भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी पहली करेंसी 1938 में छापी थी. पांच रुपये के नोट पर किंग जॉर्ज की तस्वीर थी. 1996 में आरबीआई ने नोटों में बदलाव किया. इसके बाद से ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के फोटो का इस्तेमाल किया जाने लगा.

1949 में स्वतंत्र भारत ने अपना पहला बैंकनोट जारी किया. यह एक रुपये का नोट था. भारत में चार जगहों पर नोट छापने का काम होता है. इनमें साल्बोनी, मैसूर, नासिक और देवास शामिल हैं.

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हालांकि इंडोनेशिया, अब भगवान गणेश की तस्वीर वाली करेंसी छापना बंद कर चुका है. साल 2008 में आखिरी बार इस करेंसी की छपाई हुई थी, लेकिन ये नोट 2018 तक चलन में थे. एक और दिलचस्प बात यह है कि इंडोनेशिया की सरकारी विमान कंपनी का नाम ‘गरुण एयरलाइंस’ है.

कागजी मुद्रा के कई फायदे
कागजी मुद्रा दुनियाभर में इस वजह से फैली क्योंकि इसकी कई खासियतें थीं.
नियंत्रण – सरकारें कागजी मुद्रा की आपूर्ति को आसानी से नियंत्रित कर सकती थीं.
स्थिरता – कागजी मुद्रा विनिमय के अन्य माध्यमों की तुलना में अधिक स्थिर है.

कहां सबसे पहले चलाए गए सिक्के
इसका श्रेय भी शायद सबसे पहले चीन को ही जाता है. दुनिया की सबसे पुरानी सिक्का फैक्ट्री चीन के हेनान प्रांत के गुआनज़ुआंग में मिली है. इस फैक्ट्री में 640 ईसा पूर्व और 550 ईसा पूर्व के बीच फावड़े के आकार के कांस्य सिक्के बनाए गए थे.

भारत में भी सिक्कों का प्रचलन छठी सदी ईसा पूर्व में शुरू हो गया था. शेर शाह सूरी ने 1540 से 1545 तक अपने शासनकाल के दौरान 178 ग्रेन चांदी की मुद्रा जारी की थी, जिसे रुपिया कहा जाता था. रुपया शब्द का संबंध शब्द रूपा से है, जिसका मतलब चांदी होता है. संस्कृत में रूप्यकम् का मतलब चांदी का सिक्का होता है.

कहां प्लास्टिक के नोट सबसे पहले जारी हुए
ऐसा माना जाता है कि पहली बार प्लास्टिक के करेंसी नोट का इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया में 1988 में किया गया था. ऑस्ट्रेलिया दुनिया का पहला ऐसा देश है, जिसने 1988 में ही प्लास्टिक के नोटों की शुरुआत कर दी थी. इसके अलावा यह दुनिया का अकेला देश है जहां पॉलिमर नोटों का उत्पादन होता है.

डिजिटल करेंसी कहां पहले जारी हुई
बहामास दुनिया का पहला देश है जिसके केंद्रीय बैंक ने दुनिया की पहली डिजिटल मुद्रा जारी की. इसे ” सैंड डॉलर ” कहा जाता है, ये बहामास के 700 द्वीपों में चलती है. हालांकि चीन भी इसमें अच्छा काम कर रहा है.

Tags: 1000-500 notes, 2000 note, China, Currency, Currency in circulation, Indian currency

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Shunya News
Author: Shunya News

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