नई दिल्ली. कभी पांच रुपये में रोजान में दिहाड़ी करने वाला किसान आज आईएएस का मार्गदर्शन करता है. मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में इस किसान को बुलाया गया, उसने भविष्य के आईएएस को एक खास ‘ट्रेनिंग’ दी. जिससे वे अपने कार्यकाल के दौरान आम लोगों समेत किसानों को लाभ पहुंचा सके. हालांकि कृषि मंत्रालय भी इस किसान को लेक्चर देने के लिए अकसर बुलाता रहता है.
किसान रविन्द्र मणिकर मेटकार महाराष्ट्र के अमरावती के रहने वाले हैं. किसी समय गांव के आसपास वो पांच रुपये रोज की मजदूरी करते थे. साथ में, गुर्मी पालन करते थे, जिससे किसी तरह उनकी जीविका चल रही थी. गुर्मी पालन का काम बढ़ाने के लिए उनको अपनी जमीन भी बेचनी पड़ी. इसके बाद बैंक से लोन लेकर पोल्ट्री फार्म शुरू किया. मौजूदा समय वे महाराष्ट्र के प्रमुख अंडा उत्पादक हैं. उनके पोल्ट्री फार्म में रोजाना 2 लाख अंडे होते हैं. हाल ही में 50 हजार मुर्गियों के लिए आटोमैटिक पोल्ट्री फार्म बनाया है, जिसकी लागत 18 करोड़ रुपये है.
खेत में काम करते किसान रविन्द्र मणिकर मेटकार.
आज वे देश के सफल किसान माने जाते हैं, जो सफल होने के बाद भी जमीन से जुड़े हुए हैं और समय मिलने पर स्वयं खेती करते हैं. इसलिए उन्हें मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में आईएएस का मार्गदर्शन करने के लिए बुलाया गया. यहां आयोजित कृषि संवाद कार्यक्रम ‘प्रगतिशील किसानों से सीखें’ में जाकर मार्गदर्शन किया.
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रविन्द्र मणिकर मेटकार बताते हैं कि अकादमी में जाकर यह समझाया कि कैसे कम से कम संसाधन का इस्तेमाल कर वे यहां तक पहुंचे हैं. किसानों और आम लोगों को उनसे (आईएएस) क्या उम्मीद होती है. किस तरह वे काम को आसान बनाकर किसानों की मदद कर सकते हैं. किसानों की भागा दौड़ी बचा सकते हैं. उन्हें राहत देकर जीवन को आसान बना सकते हैं. उनके लेक्चर को वहां मौजूदा सभी ने खूब सराहा. हालांकि वे बताते हैं कि कृषि मंत्रालय भी अकसर उन्हें ऐसे कार्यक्रम में बुलाता रहता है, जिसमें दूसरे किसानों का मार्गदर्शन कर आय बढ़ाने का तरीका बताते हैं.
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Tags: Agriculture, Farmer, IAS
FIRST PUBLISHED : March 26, 2024, 09:49 IST